अधिकांशतः लोगों को यह तो मालूम है की उपवासों का वैज्ञानिक महत्त्व हैं . वे लोग ऐसा कहते हैं की सप्ताह में करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है .लेकिन जब किसी एक विशेष दिन या तिथि की बात आती है तो वहा सिर्फ आध्यात्मिक कारणों को वे उस से जोड़ देतें हैं,सनातन धर्म में कोई भी बात अवैज्ञानिक तरीके से नहीं कही गयी है यह पूर्ण वैज्ञानिक धर्मिक पद्धति है .
वास्तव में हमारे दुःख का कारण हमारी भावनात्मक असंतुलन है,इस असंतुलन का कारन हमारे शारीर में उपस्थित जल है. चन्द्रमा के आकर्षण बल के कारण जल में तरंगों का जन्म होता है .यदि ऐसा न हो ,या हो तो कम हो तो व्यक्ति अपना आध्यात्मिक या भौतिक विकास कर सकता है.
एकादशी के दिन अन्न न खाने का या उपवास करने के कारण हमारे शरीर में जल का स्तर काफी नीचे आ जाता है , जैसा की हम जानते हैं की पूर्णिमा को और अमावस्या को चन्द्रमा का आकर्षण बल सब से अधिक होता है.हमारे शरीर में जल का स्तर नीच हो जाने के कारण इस आकर्षण बल का प्रभाव नगण्य हो जाता है . व्यक्ति का भावनात्मक असंतुलन का खतरा नहीं रह जाता है.आप अन्य ब्लोग्स भी इस सम्बन्ध में देख सकतें हैं -
जैसे-http://scienceofhinduism.blogspot.com/2008/08/why-do-we-fast-on-ekadesi-days.html
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