बुधवार, 24 जून 2020

दुष्ट व्यक्ति यदि आपको सम्मान भी दे तो सावधान



समाज में दो प्रकार के मनुष्य सदा से ही पाए जाते रहें हैं – सज्जन और असज्जन | अलग अलग युगों में हम उन्हें विभिन्न नामों से पुकारते रहें हैं कभी हम उन्हें देवता व राक्षस तो कभी मानव- अमानव तो सुर –असुर  और कभी सज्जन- दुर्जन | यहाँ हम बात कर रहें हैं दुसरे वालों की यानि असज्जन की | असज्जन व्यक्ति ऐसा व्यक्ति है जिस से न तो सीधे सीधे आप वैर भाव रख सकते हैं और प्रेम भाव को तो सवाल ही नहीं उठता | तो फिर क्या करना चाहिए ? महाकवि तुलसी दास जी महाराज श्रीराम चरित मानस  के प्रारंभ में ही कहते हैं :
बंदउँ संत असज्जन चरना। दुःखप्रद उभय बीच कछु बरना॥
बिछुरत एक प्रान हरि लेहीं। मिलत एक दु:ख दारुन देहीं॥2
अर्थात्:-
तुलसी दास जि कहतें हैं कि मैं संत और असंत दोनों के चरणों की वन्दना करता हूँ, दोनों ही दुःख देने वाले हैं, परन्तु उनमें कुछ अन्तर कहा गया है। वह अंतर यह है कि एक (संत) तो बिछुड़ते समय प्राण हर लेते हैं और दूसरे (असंत) मिलते हैं, तब दारुण दुःख देते हैं। (अर्थात्‌ संतों का बिछुड़ना मरने के समान दुःखदायी होता है और असंतों का मिलना।)॥2


इसी सम्बन्ध में, रहीम दास जी कहतें है कि दुष्ट लोगों से न वैर भला है और न ही प्रेम क्यों कि जिस प्रकार एक कुत्ते के चाटने (प्रेम) से और काटने( वैर) से दोनों से ही बुरा (अस्वस्थ) होने का खतरा बना रहता है|
"रहिमन ओछे नरन सो, वैर भली न प्रीत | काटे चाटे स्वान के, दोउ भांति विपरीत |” 
इसी सन्दर्भ में , रावण- मारीच का भी प्रसंग आता है जब रावण सीता हरण के लिए मारीच को सोने का आकर्षक मृग बनाने के लिए राजी करने के लिए आता है लिए आता है तो वह मारीच को झुक कर प्रणाम करता है | मारीच चूँकि एक विद्वान् है अतः वह समझ जाता है कि जब कोई दुष्ट व्यक्ति आप के सामने नतमस्तक हो तब समझ  लो कि संकट की घडी आ गई है | गोस्वामी तुलसीदास इसे इस प्रकार कहतें हैं :
“नवनि नीच की अति दुखदायी | जिमि अंकुश धनु उरग बिलाई ||
अर्थात् दुष्ट व्यक्ति का झुकना भी वैसा ही कष्टदायक है जिस प्रकार अंकुश , धनुष ,सर्प और बिल्ली का झुकना क्यों कि ये सभी तभी झुकतें है जब सामने वाले का नाश करने वालें होतें हैं|
हरे कृष्ण
(मैं अभी वायुसेना के मेडिकल सेंटर में हूँ गले में दर्द की शिकायत अस्वस्थ हूँ | आशा है शीघ्र ही ठीक हो जाऊंगा|)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी एक मात्र एसा साधन है जिस से पाठक अपने मन की बात लेखक से कह सकता है.इसलिए हे मेरे पाठक मित्र! आप को मेरा ब्लॉग और उसमें लिखी बात कैसी लगी,जरा यहाँ नीचे लिख दीजियेगा ,अपने नाम के साथ

दुष्ट व्यक्ति यदि आपको सम्मान भी दे तो सावधान

समाज में दो प्रकार के मनुष्य सदा से ही पाए जाते रहें हैं – सज्जन और असज्जन | अलग अलग युगों में हम उन्हें विभिन्न नामों से पुकारते रहें ...