इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का मुद्दा जिस
प्रकार से भारतीय राजनीति में छाया हुआ है उस से एसा लगता है भारतीय नेताओं एक बार
फिर से विचार कर लेना चाहिए की क्या वे सिर्फ अपनी निजी चिंताओं के प्रति जागरूक
हैं या फिर देश के विषय में भी सोचते हैं. आप को बता दें कि इन मशीनों की सुरक्षा
में कई सिविल अधिकारी, कई अध्यापक या राज्य के वे कर्मचारी जो बिना किसी प्री-प्लानिग
के नियुक्त होतें हैं तथा अर्ध सैनिक बल के साथ-साथ प्रादेशिक पुलिस रहती है. इतने
बड़े सुरक्षा बेड़े में सेंध लगाना किसी भी मास्टर माइंड के लिए असंभव है. जहाँ तक
पहले के ज़माने में जो बैलेट सिस्टम चलता था उसमे गड़बड़ियो की सम्भावना बहुत ज्यादा
होती थी. ये सब जानकारियां मुझे मेरे पिता से प्राप्त हुईं जिन्होंने अपनी
नियुक्ति के दौरान अनेकों चुनावों में पोलिंग बूथ के सञ्चालन में भागीदारी निभाई. बैलेट
सिस्टम में यदि आप एक बैलेट पैड किसी तरीके से चुरा लेते हो तो एक एक मतदाता
मनचाहे वोट डाल सकता था. यह काम बहुत ही आसान होता था. और इसके बारे में विरोधी
दलों को शायद ही भनक लग पाती थी. यदि कोई वोटिंग मशीनों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है जो
की भारी सुरक्षा में रहती हैं. तो फिर पुरानी बैलेट सिस्टम ही कहाँ सुरक्षित रहेगा.
और फिर एक तरफ तो हम डिजिटल इंडिया की बात करें और दूसरी तरफ हम पुरातनता की बात
करें तो यह दोगलापन तो सिर्फ भारत में ही देखने को मिल सकता है. जिस देश में छात्रो
की उत्तर पुस्तिकाएं कंप्यूटर से जांची जाती हैं. जहाँ बैंक पुर्णतः इन्टरनेट से
जुड़े हैं. जहाँ सब कुछ ऑनलाइन होने जा रहा है, वहां मेरी सलाह है कि वोटिंग भी
ऑनलाइन हो. क्या हम प्रत्येक मतदाता को उसके आधार नंबर से जोड़कर उस से मतदान नहीं
करवा सकते? क्या OTP के माध्यम यह सब संभव नहीं है? क्या चुनाव आयोग के योग्य पदाधिकारी
इस पर विचार नहीं कर सकते? इसे एक विकल्प के रूप में रखा जाये जैसे लोग मनुअल
बैंकिंग के साथ साथ ऑनलाइन बैंकिंग का आप्शन चुनते हैं. उसी तरह ऑनलाइन वोटिंग का
विकल्प भी होना चाहिए फिर देखिये भारत में युवा मतदाता कैसे वोटिंग एप्प का सदुपयोग
करते हैं. जय हिन्द.
हरेक क्षण मैं जिन्दगी का जी रहा हूँ , ज्ञान का प्याला अधर से पी रहा हूँ |
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
दुष्ट व्यक्ति यदि आपको सम्मान भी दे तो सावधान
समाज में दो प्रकार के मनुष्य सदा से ही पाए जाते रहें हैं – सज्जन और असज्जन | अलग अलग युगों में हम उन्हें विभिन्न नामों से पुकारते रहें ...
-
क्या आप जानतें हैं उस देश का नाम - जिस की ना कोई भाषा है, न कोई भूषा और न ही संस्कृति ? सब कुछ बस उधार का है.उस देश के नागरिक भी स्...
-
ऑन लाइन होटल बुकिंग साईट www .मेरी ट्रिप बनाओ.कॉम से जब बुकिंग की तो ससुरा १५००/-के होटल का दाम लिखा आ रहा था जब पेमेंट करने का टाइम आया त...
-
तुम मेरे हमेशा करीब हो - मेरी यादों में , मेरे ख्वाबों में , मेरे अहसासों में , मेरी आशाओं के सुन्दर से संसार में . "किसी से बात करने...