गुरुवार, 31 मई 2007

दो पंक्तियाँ तुम्हारे लिए .....

इतनी कवितांयें सुन जाना
, बता कहॉ से लाऊं ।
 ह्रदय स्रोत मेरी कविता का ,
 चल आज तुझे दिखलाऊं।
 सच्चा प्रेम सनेह भला क्या ?
 समझ नहीं मैं पाया।
 किन्तु प्रिये तेरी यादों को ,
 कभी भुला ना पाया।

दुष्ट व्यक्ति यदि आपको सम्मान भी दे तो सावधान

समाज में दो प्रकार के मनुष्य सदा से ही पाए जाते रहें हैं – सज्जन और असज्जन | अलग अलग युगों में हम उन्हें विभिन्न नामों से पुकारते रहें ...