बुधवार, 2 नवंबर 2016

क्यों करतें हैं सोमवार व्रत (व्यंग्य )

      सोमवार सदा से पवित्र माना जाता है, सदा ही लोग इस दिन व्रत कर ते आये हैं।  वे लोग जो धर्म कर्म की कम जानकारी रखते हैं , वे इस बात से हमेशा चिंताग्रस्त रहते हैं  कि सोमवार का वृत्त क्यों रखा जाता है. मेरे मित्र सेनादास ने यही प्रश्न बाबा लटूरी आईआइटीयन  से जब किया तो  वे  थोड़ी टेंसन में आ गये मगर फिर सोच कर उन्होंने जो मेरे प्रश्नों का उत्तर अपनी टेक्नीकल थिओरी के द्वारा दिया उसे सुन कर मेरे मित्र सेनादास के दिमाग के सारे स्रोत खुल गए -
१. "सोमवार वीक का पहला दिन होता है यानि कि लंबा वीकेंड के बाद पुनः ऑफिस जाना। " यह बात इतनी भयावह और डरावनी होती हैं की आदमी संडे का आनंद भूल सोमवार के गम  में डूब जाता है।  कई बार बोस नाम का प्राणी इतना डरावना महसूस होने लगता है की आदमी मजबूरीवश भूतनाथ यानि की महादेव की शरण में चला जाता है।

२. कई बार व्यक्ति अपने वीकेंड में किये गए पाप-पूर्ण कार्यकलापों के पश्चाताप के फलस्वरूप प्राप्त गिल्टी फीलिंग को मिनिमाइज करने के लिए आशुतोष भगवान् की पूजा  करता है।

३. कई लोग वीकेंड में पत्नी द्वारा की गई अंधाधुन्द शॉपिंग में हुए खर्चे का खामियाज़ा पूरा करते हैं।  ताकि एक दिन व्रत रख कर कुछ तो पैसा बचे।  इस से भगवान् महादेव भी प्रसन्न हो जाते हैं।  और...

४. "अलग अलग लोग अलग -२ कारण बच्चा सेनादास ! " इसी बात पर बाबा लटूरी आईआइटीयन का एक श्लोक याद कर लो। 


"भिन्न भिन्न मत: भिन्न भिन्न व्रत:, 
किमे बॉसेन  भय: कृते सोमवार व्रत: .
किमे कार्यं भय: कृते सोमवार व्रत:. 
किमे पापकर्मणा भय: . 
स: दुर्लभ प्राणी स यो प्रियं भजन्ते महादेव।"

     इस प्रकार बड़े  भारी  मन से सेनादास ने अपनी डायरी में यह श्लोक नोट कर के यूनिफार्म पर इस्तरी करना प्रारम्भ कर दिया।  कल की परेड की तैयारी भी करनी थी। यह दर्द तो सिविलियन बाबा लटूरी आईआइटीयन के स्वप्न संसार में दूर दूर तक न होगा। आखिर सेनादास ने एक और लाइन अपनी ओर  से श्लोक में ऐड कर दी -
  " स: , यो  जानामि सेना : व्यथा: ,स: कुरतु किम वृत:। "

हर हर महादेव !

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