एक पल का साथ अपना ,
गम अगर लो बाँट अपना ,
तो दिलों का बोझ भी हल्का लगेगा ,
फिर दिलों को ग़ैर भी अपना लगेगा ,
किन्तु अगले पल बिछुड़ना भी पड़ेगा,
याद आयेगी तुम्हारी फिर अकेले में,
रो परेंगी यों ही ऑंखें फिर अकेले में ,
आंसुओं कि कुछ लकीरें बन ही जायेंगी ,
रोकने पर हिल्कियां तो आ ही जाएँगी ,
किन्तु तुम्हारी यादें तो हैं जो हमेशा याद आएँगी ,
अकेले में या कि हज़ारों कि महफिल में ,
तुम्हारी यादें ....... हाँ ..... तुम्हारी यादें ।
यादें .......
उस एक पल की.......
गम अगर लो बाँट अपना ,
तो दिलों का बोझ भी हल्का लगेगा ,
फिर दिलों को ग़ैर भी अपना लगेगा ,
किन्तु अगले पल बिछुड़ना भी पड़ेगा,
याद आयेगी तुम्हारी फिर अकेले में,
रो परेंगी यों ही ऑंखें फिर अकेले में ,
आंसुओं कि कुछ लकीरें बन ही जायेंगी ,
रोकने पर हिल्कियां तो आ ही जाएँगी ,
किन्तु तुम्हारी यादें तो हैं जो हमेशा याद आएँगी ,
अकेले में या कि हज़ारों कि महफिल में ,
तुम्हारी यादें ....... हाँ ..... तुम्हारी यादें ।
यादें .......
उस एक पल की.......
nice composition.
जवाब देंहटाएंkeep it up.....
hi, Mr. Sharma why r u not writing now a days?
जवाब देंहटाएंwhat happen?
plz keep on writing.
u r a nice composer.