बहुत मौके मिले थे ,
जिंदगी जीने के मगर .....
कभी हम व्यस्त थे हदतन,
कभी.. हम जी नहीं पाए .
रिश्तों की दरारों को ;
बहुत बढ़ते मैंने देखा...
कभी खुद समझ ना पाए.
बहुत सोचा - बयां कर दें
सभी बातें मेरे दिल की ...
कभी दिल कह नहीं पाया ,तो
कभी वो सुन नहीं पाए.
बहुत थी खूबियाँ मुझ में ,
उन्हें पहचानता भी था ;
कभी मौका ना मिला तो;
कभी हम दे नहीं पाए .
कल की योजना में ही,
हमेशा आज को खोया ...
आज तक हम सो नहीं पाए.
जीवन को समझना ही ,
है शायद लक्ष्य जीवन का ..
कभी कोशिश नहीं की हम ने ,
कभी हम हम जान ना पाए.
(जारी.......)
जिंदगी जीने के मगर .....
कभी हम व्यस्त थे हदतन,
कभी.. हम जी नहीं पाए .
रिश्तों की दरारों को ;
बहुत बढ़ते मैंने देखा...
कभी समझा न सके हम,तो
कभी खुद समझ ना पाए.
बहुत सोचा - बयां कर दें
सभी बातें मेरे दिल की ...
कभी दिल कह नहीं पाया ,तो
कभी वो सुन नहीं पाए.
बहुत थी खूबियाँ मुझ में ,
उन्हें पहचानता भी था ;
कभी मौका ना मिला तो;
कभी हम दे नहीं पाए .
कल की योजना में ही,
हमेशा आज को खोया ...
उसी कल की फ़िक्र में -
आज तक हम सो नहीं पाए.
जीवन को समझना ही ,
है शायद लक्ष्य जीवन का ..
कभी कोशिश नहीं की हम ने ,
कभी हम हम जान ना पाए.
(जारी.......)